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गले में ज्यादा देर न रुककर फेफड़ों को क्षति पहुँचा रहा है कोरोना, कानपुर मेडिकल कॉलेज में अध्धयन की हो रही है तैयारी।

 गले में ज्यादा देर न रुककर फेफड़ों को क्षति पहुँचा रहा है कोरोना, कानपुर मेडिकल कॉलेज में अध्धयन की हो रही है तैयारी।



जैसा कि आप लोग जानते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर देश और दुनिया भर में बहुत तेजी के साथ फैल रही है और कोरोना वायरस की यह लहर अपनी 2020 की लहर से और भी ज्यादा खतरनाक है। कोरोना वायरस तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि कोरोना के लक्षण तो रहे हैं लेकिन रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमर्स चेन रिएक्शन टेस्ट (आरटीपीसीआर) विधि द्वारा भी पकड़ में नहीं आ पा रहे हैं। एक गणना के अनुसार कोरोना वायरस अब तक 30 परसेंट लोगों को चकमा देने में कामयाब हो गया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों के द्वारा ऐसी संभावना व्यक्त की गई है। अब चूंकि ऐसे केसेस बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं इसलिए इस पर अब अध्ययन की तैयारी की जा रही हैं।


जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एल एल आर हॉस्पिटल में हर रोज बहुत से ऐसे लोगों को भर्ती किया जा रहा है जिनमें कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। भर्ती किये गए कई मरीजों के गले में खराश, तेज बुखार और साथ ही साथ ऑक्सीजन सैचूरेशन 90 से 80 के बीच में पाया गया है। जब किसी मरीज की जांच कराई जाती है तो उसमें 70 परसेंट तक संक्रमण की पुष्टि होती है जबकि बचे हुए 30 परसेंट की रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है।



नहीं मिल रहा इलाज क्योंकि लक्षण तो हैं लेकिन रिपोर्ट आ रही है नेगेटिव।



बहुत सारे मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है क्योंकि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है जबकि कोरोना के गंभीर लक्षण उनके अंदर देखे जा सकते हैं। हालाँकि ऐसे केसेस आने पर हैलट के डॉक्टर मरीजों के फेफड़ों और स्वास नली की जाँच करा रहे हैं। इन मरीजों की रिपोर्ट आने पर इन मरीजों के फेफड़ों में धब्बे मिल रहे हैं और वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो रही है।



विशेषज्ञ की राय



जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल के नोडल अधिकारी डॉ चंद्रशेखर सिंह के अनुसार उनके पास ऐसे बहुत से मरीज आ रहे हैं जिनमें कोरोना वायरस के गंभीर लक्षण तो दिखाई देते हैं लेकिन उनके 30 परसेंट की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है। कोरोना वायरस पहली लहर में 3 से 4 दिन तक गले में रुका रहता था जिसका पता हम थ्रोट और नोज़ल स्वाब के जरिये लगा लेते थे। परंतु हमारी सम्भावना के अनुसार वायरस अब गले में बहुत कम समय तक रुकता है और सीधे फेफड़ों में पहुँच जाता है। इस कारण का पता लगाने के लिए अब इस पर अध्ययन की तैयारी की जा रही है।







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